Close Menu
    Facebook X (Twitter) Instagram YouTube
    • Home
    • About Us
    • Contact Us
    • MP Info RSS Feed
    Facebook X (Twitter) Instagram
    News India 360
    • Home
    • देश
    • विदेश
    • राज्य
    • मध्यप्रदेश
      • मध्यप्रदेश जनसंपर्क
    • छत्तीसगढ़
      • छत्तीसगढ़ जनसंपर्क
    • राजनीती
    • धर्म
    • अन्य खबरें
      • मनोरंजन
      • खेल
      • तकनीकी
      • व्यापार
      • करियर
      • लाइफ स्टाइल
    News India 360
    विदेश

    यूरोपीय संघ में जोर पकड़ रही है स्वच्छ ऊर्जा की मुहिम…

    By March 2, 2024No Comments7 Mins Read
    Facebook Twitter Pinterest LinkedIn Tumblr WhatsApp Email Telegram Copy Link
    यूरोपीय संघ में जोर पकड़ रही है स्वच्छ ऊर्जा की मुहिम…
    Share
    Facebook Twitter LinkedIn WhatsApp Pinterest Email

    जर्मनी समेत यूरोपीय संघ के पांच देशों में नागरिक ऊर्जा समूह, कार्बन न्यूट्रैलिटी का लक्ष्य हासिल करने की दिशा में बड़ी अहम भूमिका निभा रहे हैं.

    यूरोपीय संघ का एक कानून इसमें उनकी मदद कर रहा है.यूरोपीय संघ में नागरिक ऊर्जा आंदोलन आगे बढ़ रहा है. हालांकि, दक्षिणी और पूर्व-मध्य यूरोप में यह रुक-रुक कर ही बढ़ रहा है.

    इन इलाकों में कुछ समय पहले तक स्वच्छ ऊर्जा समूह बेहद कम थे. इस वृद्धि की सबसे बड़ी वजह है, यूरोपीय संघ का 2019 में आया एक अभूतपूर्व कानून. यह कानून निर्धारित करता है कि 2024 तक स्वच्छ ऊर्जा समुदाय, हर सदस्य देश में काम करने में सक्षम होने चाहिए.

    यूरोप के उत्तरी हिस्से में पहले ही हजारों स्वच्छ ऊर्जा समुदाय सक्रिय हैं. इस साल के अंत तक यूरोपीय संघ के हर देश को यह कानून अपना लेना चाहिए.

    इस कानून की मदद से नवीकरणीय ऊर्जा कार्यकर्ताओं के समूह अपने ऊर्जा पार्क शुरू कर उनका संचालन कर सकेंगे.

    साथ ही, उन्हें पैदा हुई ऊर्जा को बांटने और बेचने का भी अधिकार होगा. यह कई तरीकों से यूरोप के 2050 तक क्लाइमेट न्यूट्रल बनने के अभियान में मदद करेगा.

    यह यूरोपियन ग्रीन डील का प्राथमिक लक्ष्य है. अपनी बिजली खुद पैदा करने का लक्ष्य ऐसे लोग, जो अपने इस्तेमाल के लिए खुद बिजली का उत्पादन करते हैं, उन्हें प्रोज्यूमर्स कहा जाता है. स्वच्छ ऊर्जा सामूहिकता का मुख्य उद्देश्य ऊर्जा उपभोक्ताओं को प्रोज्यूमर्स में बदलना है.

    ये समुदाय हरित बिजली पैदा करने से कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण हैं. नागरिक ऊर्जा आंदोलन का जन्म 1980 के दशक में जर्मनी और डेनमार्क में हुआ था.

    यह मुहिम ऊर्जा को लोकतांत्रिक बनाने से जुड़ी है. ऊर्जा क्षेत्र लंबे समय तक कठोर संरचनाओं और अपारदर्शी प्रक्रियाओं से भरा रहा है. काफी साल पहले तक उपभोक्ता बिजली इस्तेमाल करते थे और उसका बिल भर देते थे.

    कोई सवाल नहीं पूछा जाता था. बिजली उत्पादन और खनिज निकालने का गंदा कारोबार आबादी से दूरी वाले इलाकों में किया जाता था. अक्सर इसे दूसरे देशों में करवाया जाता था.

    कंपनियां बड़े पैमाने पर मुनाफा कमाती थीं और वहां भी कोई सवाल नहीं पूछा जाता था. बाद में वायु प्रदूषण, परमाणु ऊर्जा के खतरे और जलवायु परिवर्तन ने परेशान नागरिकों को कदम उठाने के लिए प्रेरित किया. जर्मनी का सहकारी मॉडल जर्मनी में शुरुआती ऊर्जा कार्यकर्ताओं ने सहकारिता के 19वीं सदी के मॉडल पर भरोसा किया.

    उन्होंने नागरिकों को संगठित किया. सोलर फार्म, पवन ऊर्जा के पार्क और पूरी इलेक्ट्रिसिटी ग्रिड तक खरीदने के लिए रकम जमा की. 1990 के दशक में उन्होंने अपनी बिजली को कंपनियों को बेचने का अधिकार हासिल कर लिया. साल 2000 में उन्होंने अपनी बिजली की निर्धारित कीमतें पाने का भी अधिकार जीत लिया.

    इससे सुनिश्चित हुआ कि उनका निवेश किया गया धन वापस मिल जाएगा. जर्मनी के स्वच्छ ऊर्जा परिवर्तन में सहकारी समितियों का प्रसार पहला महत्वपूर्ण कदम था. इसका परिणाम यह हुआ कि आज जर्मनी की आधी से ज्यादा बिजली की आपूर्ति इनके जरिए ही होती है. छोटे और बड़े ऊर्जा समूह यूरोप में आज कई तरह के ऊर्जा समूह मौजूद हैं.

    अब वे जीरो-कार्बन सोलर और पवन ऊर्जा के साथ-साथ ऊर्जा दक्षता, भंडारण, बायोमास, टिकाऊ परिवहन और लचीलेपन पर भी ध्यान देते हैं. कुछ ऊर्जा समूह छोटे हैं, जिनमें गिने-चुने सदस्य हैं. लेकिन कई बेहद बड़े भी हैं, जैसे- जर्मनी का ईडब्ल्यूएस शुइनाओ और बेल्जियम का ईकोपावर.

    ये ऊर्जा समूह हजारों घरों तक नवीकरणीय ऊर्जा पहुंचाते हैं. ब्रसेल्स स्थित एनजीओ रीस्कूप डॉट ईयू, नागरिक ऊर्जा का प्रबल समर्थक है.

    इसका अनुमान है कि यूरोप में करीब 15 लाख लोगों द्वारा 2,250 ऊर्जा सहकारी समितियां चलाई जा रही हैं. ऊर्जा सहकारी समितियां गैर-लाभकारी होती हैं. इन्हें जमीनी स्तर पर लोकतांत्रिक तरीके से बनाया जाता है. इनके सदस्य आय का कुछ हिस्सा ले सकते हैं और पैदा हुई बिजली को बाजार मूल्य से कम कीमत पर खरीद सकते हैं. कई सहकारी समितियों में हर सदस्य के पास सिर्फ एक वोट देने का अधिकार होता है, चाहे समिति में उनकी हिस्सेदारी कितनी भी हो.

    कई देशों में बहुत कुछ करना बाकी ‘क्लीन एनर्जी फॉर ऑल यूरोपियन्स पैकेज में शामिल यूरोपीय संघ के कानून ने यूरोप में नागरिक ऊर्जा को अलग स्तर पर पहुंचा दिया. हालांकि, कुछ देशों में स्वच्छ ऊर्जा समूहों के विकास के लिए अभी भी बहुत कुछ किया जाना बाकी है. ऐसा बुल्गारिया, क्रोएशिया, जर्मनी, ग्रीस और पोलैंड के पांच पत्रकारों को पता चला.

    इन्होंने डीडब्ल्यू की बहुदेशीय स्वच्छ ऊर्जा समुदाय सीरीज-2024 के लिए मिलकर काम किया था. जर्मनी में साफ बिजली बेचना मुश्किल पश्चिमी जर्मनी के जीगबुर्ग में स्थित राइन-जीग ऊर्जा सहकारी समिति में करीब 350 सदस्य हैं. इनके अपने 14 सोलर फार्म और एक इलेक्ट्रॉनिक कार साझा करने का उद्यम है.

    भले ही जर्मनी में ऐसी 900 ऊर्जा सहकारी समितियां मौजूद हैं, लेकिन यूरोपीय संघ का कानून कहता है कि जर्मनी में ऊर्जा सहकारी समितियों की कानूनी परिभाषा उतनी सक्षम नहीं है, जितनी होनी चाहिए. राइन-जीग समिति अपनी ऊर्जा साझा करना चाहती है.

    समिति अपनी साफ बिजली को दूसरी समितियों के सदस्यों और स्थानीय उपभोक्ताओं को उचित मूल्य में उपलब्ध कराना चाहती है. अभी तक यह संभव नहीं हो सका है क्योंकि इसके लिए समिति को किफायती कीमत में अपनी बिजली स्थानीय ग्रिडों तक पहुंचानी होगी.

    जर्मनी में, जो कोई भी ग्रिड के जरिए बिजली बेचता है, उसे बिजली व्यापारी मान लिया जाता है. उसे ग्रिड ऑपरेटरों को इलेक्ट्रिसिटी टैक्स और ट्रांसमिशन फीस देनी पड़ती है. इससे सहकारी समितियों की स्वच्छ ऊर्जा, ग्राहकों के लिए मंहगी हो जाती है. यह कहना है फिलिक्स शेफर का, जो सहकारी बिजली व्यापार संघ बर्गावेर्क के सह-संस्थापक और सह-अध्यक्ष हैं.

    यह संघ जर्मनी के नवीकरणीय ऊर्जा समुदायों द्वारा पैदा की गई बिजली की मार्केटिंग करता है. कई देशों में पर्याप्त नहीं हैं कानून जर्मनी के विपरीत बुल्गारिया, क्रोएशिया, ग्रीस और पोलैंड में लोकतांत्रिक स्वच्छ ऊर्जा समूह अभी नए हैं.

    बुल्गारिया के बेलोजेम में जॉर्जिएव बंधु और पोलैंड के लाडेक-जड्रोज शहर के मेयर रोमान कचर्मारचिक जैसे अग्रणी मौजूदा कानूनों पर भरोसा करते हुए अपने समूहों को स्थापित करने के लिए आगे बढ़े. उन्होंने इस क्षेत्र में प्रगति लाने के लिए अपने-अपने देश में अधिकारियों के साथ संघर्ष किया.

    ऐसा ही क्रोएशिया और ग्रीस में उनके समकालीनों ने किया. इन सभी ऊर्जा कार्यकर्ताओं को उम्मीद थी कि इनके देशों में यूरोपीय संघ का कानून लागू होने से बड़ा बदलाव आएगा. इससे इनके समूह भी आगे बढ़ेंगे और दूसरों को भी ऐसा करने की प्रेरणा मिलेगी. लेकिन ग्रिड ऑपरेटर सहयोग नहीं कर रहे हैं और कानून भी ऊर्जा सहकारी समितियों को काम करने के लिए पूरी तरह सक्षम नहीं बना पा रहा है.

    लंबा सफर बाकी, फिर भी आशावादी उदाहरण के लिए क्रोएशिया में गैर-सरकारी उपभोक्ता संगठनों की शिकायत है कि देश के नागरिक ऊर्जा कानून में कई अनुचित प्रतिबंध शामिल हैं. क्रोएशिया के अधिकारियों ने सामुदायिक ऊर्जा पार्कों के उत्पादन को 500 किलोवॉट तक सीमित कर दिया है, जो हजार सोलर पैनलों के उत्पादन से भी कम है.

    इसके अलावा समूहों का गैर-लाभकारी होना और एक विशेषज्ञ को तैनात करना भी जरूरी होता है. जमीनी संगठनों के लिए इन नियमों का पालन करना कठिन है. क्रोएशिया में नागरिक ऊर्जा समुदायों को करोड़ों यूरो की लागत से बने पवन ऊर्जा पार्कों जितनी जरूरतों को पूरा करना होता है.

    इन सभी बाधाओं और असफलताओं के बावजूद, मुहिम की गति को लेकर काफी आशाएं हैं. यूरोप में हुए एक सर्वे में 61 फीसदी प्रतिभागियों ने कहा कि वे एक स्थानीय ऊर्जा सहकारी समिति में शामिल होने के बारे में सोच सकते हैं. उन देशों में समर्थन सबसे ज्यादा था, जहां अभी इसकी शुरुआती ही हो रही है.

    जैसे- रोमानिया में 85 फीसदी, इटली में 75 फीसदी, बुल्गारिया में 75 फीसदी, पोलैंड में 74 फीसदी, ग्रीस में 71 फीसदी और स्पेन में 69 फीसदी. अब यूरोपीय संघ भी नागरिक ऊर्जा कार्यकर्ताओं के साथ खड़ा है..

    Related Posts

    टैरिफ पर ट्रंप ने लिया यू-टर्न, स्मार्टफोन और लैपटॉप को टैरिफ से दी छूट

    April 13, 2025

    पूर्व पीएम किशिदा पर हमला करने वाले आरोपी ने हत्या के आरोप से किया इनकार

    February 4, 2025

    अमेरिका से 205 भारतीयों को मिलिट्री विमान से वापस भेजा गया, ट्रंप सरकार ने की सख्त कार्रवाई

    February 4, 2025

    ब्रिबी द्वीप में शार्क के हमले से महिला की मौत, तैरते समय आई गंभीर चोटें

    February 4, 2025

    अफ्रीका में शिक्षक के खिलाफ कार्रवाई की मांग, हिंदू छात्र का कलावा काटने पर बवाल

    February 4, 2025

    ट्रंप का बड़ा यूटर्न, कनाडा के ट्रूडो से फोन पर बात कर टैरिफ में दी राहत

    February 4, 2025
    विज्ञापन
    विज्ञापन
    अन्य ख़बरें

    CG Crime- पुलिस ने 24 घंटे के भीतर सुलझाई अंधे कत्ल की गुत्थी: आरोपी दंपति गिरफ्तार, जानिए वारदात के पीछे की वजह…

    June 8, 2025

    CG Accident: भीषण सड़क हादसे में डॉक्टर की मौत, तेज रफ्तार पिकअप ने बाइक को मारी टक्कर…

    June 8, 2025

    CG NEWS: चिंतन शिविर 2.0 के पोस्ट लंच सत्र में मुख्यमंत्री सहित मंत्रियों ने सीखे बेहतर वित्तीय प्रबंधन के गुर…

    June 8, 2025

    CG NEWS: मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने आईआईएम परिसर में ‘सुशासन वाटिका’ का किया शुभारंभ किया…

    June 8, 2025
    हमारे बारे में

    यह एक हिंदी वेब न्यूज़ पोर्टल है जिसमें ब्रेकिंग न्यूज़ के अलावा राजनीति, प्रशासन, ट्रेंडिंग न्यूज, बॉलीवुड, खेल जगत, लाइफस्टाइल, बिजनेस, सेहत, ब्यूटी, रोजगार तथा टेक्नोलॉजी से संबंधित खबरें पोस्ट की जाती है।

    Disclaimer - समाचार से सम्बंधित किसी भी तरह के विवाद के लिए साइट के कुछ तत्वों में उपयोगकर्ताओं द्वारा प्रस्तुत सामग्री ( समाचार / फोटो / विडियो आदि ) शामिल होगी स्वामी, मुद्रक, प्रकाशक, संपादक इस तरह के सामग्रियों के लिए कोई ज़िम्मेदार नहीं स्वीकार करता है। न्यूज़ पोर्टल में प्रकाशित ऐसी सामग्री के लिए संवाददाता / खबर देने वाला स्वयं जिम्मेदार होगा, स्वामी, मुद्रक, प्रकाशक, संपादक की कोई भी जिम्मेदारी नहीं होगी.

    हमसे सम्पर्क करें
    संपादक - Chhamesh Ram Sahu
    मोबाइल - 9131052524
    ईमेल - [email protected]
    कार्यालय - Swami Vivekanand Ward - Ward No.30 , Jagdalpur - 494001
    June 2025
    M T W T F S S
     1
    2345678
    9101112131415
    16171819202122
    23242526272829
    30  
    « May    
    Facebook X (Twitter) Instagram Pinterest
    • Home
    • About Us
    • Contact Us
    • MP Info RSS Feed
    © 2025 ThemeSphere. Designed by ThemeSphere.

    Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.