2010 में अपने पद से सेवानिवृत होने वाले जज साहब ने तीन दिन पहले यानी 27 फरवरी को हैदराबाद के एक थाने में आपराधिक शिकायत दर्ज कराई है।
दर्ज एफआईआर में कहा गया है कि उनके परिवार ने आपस में मिलकर ये रकम जुटाई थी।
बकौल पूर्व जज, परिवार से इकट्ठा करने के बाद ये रकम दोनों आरोपियों को भुगतान की गई थी ताकि वे इलेक्टोरल बॉन्ड खरीद सकें लेकिन कभी कोई बॉन्ड जारी ही नहीं किया गया।
शिकायत में कहा गया है कि ये बॉन्ड भाजपा के पक्ष में जारी किए जाने थे।
FIR में जिन दो लोगों को आरोपी बनाया गया है, उनमें एक नरेंद्रन और दूसरा सरथ रेड्डी है। बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, एफआईआर में पूर्व जज ने आरोप लगाया है, “नरेंद्रन, जो हमारे रिश्तेदारों का एक परिचित व्यक्ति है, अपने परिचय का फायदा उठाते हुए मेरे पास आया और केंद्र की सत्ताधारी पार्टी के लिए कुछ चंदे की मांग की जिसे बॉन्ड के माध्यम से स्वीकार किया जाना था। नरेंद्रन ने सरथ रेड्डी को हमसे रकम लेने का जिम्मा सौंपा था। (कहा जाता है कि सरथ रेड्डी आत्मिया होम्स नाम की एक कंस्ट्रक्शन कंपनी में शामिल हैं)।”
पूर्व जज ने यह भी आरोप लगाया कि सरथ रेड्डी ने उन्हें और उनके पोते-पोतियों को संयुक्त राज्य अमेरिका में “सम्मानजनक” स्थान देने का वादा किया था, क्योंकि वह इलाहाबाद और आंध्र प्रदेश के उच्च न्यायालयों के न्यायाधीश रह चुके हैं।
रिटायर्ड जज ने कहा कि वह और उनका परिवार उसके झांसे में आ गया और उनकी पत्नी और बेटी ने 2021 में समय-समय पर कुल 2.5 करोड़ रुपये उसे दे दिए। उन्होंने कहा कि व्हाटसएप पर उसके साथ चैट टेक्स्ट के सबूत भी हैं।
पूर्व जज ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया है कि ना तो उनके परिजनों को अमेरिका में मदद दी गई और ना ही उनके दिए गए रकम से कोई इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदा जा सका।
शिकायत में पूर्व जज ने इलेक्टोरल बॉन्ड पर हालिया सुप्रीम कोर्ट के आदेश की धज्जियां उड़ाने के भी आरोप लगाए हैं।