सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने राजनीतिक दलों के चुनावी फंडिंग के लिए छह साल पहले शुरू किए गए इलेक्टोरल बॉन्ड को गुरुवार को असंवैधानिक करार देते हुए इसे रद्द कर दिया है।
इसके साथ ही स्टेट बैंक को गुप्त दान की गई सभी रकम और सभी आंकड़ों को चुनाव आयोग को सौंपने का निर्देश दिया है।
कोर्ट के दस्तावेजों से खुलासा हुआ है कि छह सालों के दरम्यान इलेक्टोरल बॉन्ड्स से केंद्र की सत्ताधारी बीजेपी को सबसे ज्यादा रकम मिली है।
2017-18 में शुरू की गई इस स्कीम के पिछले छह वर्षों की वार्षिक ऑडिट रिपोर्ट से पता चलता है कि बीजेपी को सबसे अधिक 6566 करोड़ रुपये गुप्त दान के रूप में रकम मिली है।
मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस दूसरे स्थान पर है लेकिन उसे छह सालों में सिर्फ 1123 करोड़ रुपये ही मिले हैं। लिस्ट में तीसरे नंबर पर ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस है, जिसे 1092 करोड़ रुपये मिले हैं, जबकि यह पार्टी सिर्फ एक ही राज्य (पश्चिम बंगाल) में शासन करती है।
कोर्ट को सौंपे गए दस्तावेजों से पता चला है कि सीपीआई(मार्क्सवादी) एकमात्र ऐसी राष्ट्रीय पार्टी है जो चुनावी बांड के माध्यम से चंदा स्वीकार नहीं करती है।
लिस्ट में चौथे नंबर पर ओडिशा की सत्तारूढ़ नवीन पटनायक की बीजू जनता दल है, जिसे 774 करोड़ रुपये बतौर चंदा मिला है। तमिलनाडु की सत्ताधारी डीएमके पांचवें नंबर पर है, जिसे कुल 615 करोड़ रुपये चुनावी बॉन्ड के जरिए मिल चुके हैं
तेलंगाना पर पिछले 10 तक शासन करने वाली भारत राष्ट्र समिति (जो पहले TRS थी) इस लिस्ट में छठे नंबर पर है। उसे छह सालों के दौरान कुल 383 करोड़ रुपये का चुनावी चंदा मिला है।
इस लिस्ट में सातवें नंबर पर आंध्र प्रदेश में शासन करने वाली वाईएसआर कांग्रेस है। जगनमोहन रेड्डी की पार्टी को छह सालों में चुनावी बॉन्ड के जरिए कुल 382 करोड़ रुपये मिले हैं।
उनके प्रतिद्वंद्वी पूर्व मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू की टीडीपी को 146 करोड़ रुपये मिले हैं। इस तरह वह टॉप 10 दलों की लिस्ट में आठवें नंबर पर है।
नौवें नंबर पर शिव सेना है, जिसे 101 करोड़ मिले हैं, जबकि 10वें नंबर पर आम आदमी पार्टी है, जिसे 94 करोड़ रुपये मिले हैं। आप को शुरुआती दो वर्षों में कोई चंदा नहीं मिला है।
अन्य दलों की बात करें तो अखिलेश यादव की सपा को 49, नीतीश कुमार की जेडीयू को 24, लालू यादव की राजद को 2.5, हेमंत सोरेन के JMM को 1 करोड़ ही मिले हैं, जबकि तमिलनाडु की मुख्य विपक्षी पार्टी AIMIM को 6, पंजाब के अकाली दल को 7.26, कर्नाटक की जेडीएस को 13 करोड़ रुपये मिले हैं।