भारत में लोग बुलेट ट्रेन का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं।
देश में बुलेट ट्रेन चलाने के लिए नेशनल हाई स्पीड रेल कॉर्पोरेशन (एनएचएसआरसीएल) का कार्य प्रगति पर है।
जापानी तकनीक से तैयार किए जा रहे बुलेट ट्रेन का सिस्टम अत्याधुनिक तकनीकों से लैस होगा। बुलेट ट्रेन के ट्रैक और उसके आस-पास ऐसे डिवाइस लगाए जा रहे हैं, जिसकी मदद से भूकंप आने से पहले ही इसके शुरुआती तरंगों का पता लगाया जा सकता है।
किसी तरह की अनहोनी न हो इसके लिए खास व्यवस्था की गई है। ऐसे डिवाइस लगाए जा रहे हैं जिसकी मदद से भूकंप आने से पहले ट्रेन अपनेआप ही रुक जाएगी।
एनएचएसआरसीएल ने सोमवार को कहा कि मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन कॉरिडोर के लिए 28 सिस्मोमीटर लगाए जाएंगे।
कॉर्पोरेशन द्वारा विज्ञप्ति में एनएचएसआरसीएल ने कहा कि यात्रियों और महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए जापानी शिंकानसेन तकनीक पर आधारित प्रारंभिक भूकंप जांच प्रणाली स्थापित की जाएगी।
कॉर्पोरेशन के मुताबिक, “28 भूकंपमापी में से 22 अलाइनमेंट के साथ स्थापित किए जाएंगे। इनमें से आठ महाराष्ट्र के मुंबई, ठाणे, विरार और बोइसर में होंगे, जबकि 14 गुजरात के वापी, बिलिमोरा, सूरत, भरूच, वडोदरा, आनंद, महेम्बादाद और अहमदाबाद में होंगे।”
विज्ञप्ति में बताया गया कि 28 भूकंपमापी में से शेष छह, जिन्हें अंतर्देशीय भूकंपमापी कहा जाता है, महाराष्ट्र के खेड़, रत्नागिरी, लातूर और पंगरी जैसे भूकंप संभावित क्षेत्र के साथ-साथ गुजरात के अडेसर और पुराने भुज में स्थापित किए जाएंगे।
विज्ञप्ति में कहा गया है कि ट्रैक की दिशा के साथ-साथ ट्रैक्शन सब-स्टेशनों और स्विचिंग पोस्टों में सिस्मोमीटर स्थापित किए जाएंगे और ये प्राथमिक तरंगों के माध्यम से भूकंप-प्रेरित झटकों का पता लगाएंगे और स्वचालित बिजली बंद करने में सक्षम होंगे। आने भूकंप के पूरी तहर आने से पहले इसका पता लगाया जा सकता है और ऐहतियात के तौर ट्रेन को रोका जा सकता है।
एनएचएसआरसीएल की विज्ञप्ति में आगे कहा गया है कि बिजली बंद होने का पता चलने पर आपातकालीन ब्रेक सक्रिय हो जाएंगे और प्रभावित क्षेत्र में चलने वाली ट्रेनें रुक जाएंगी।
विज्ञप्ति के अनुसार, हाई स्पीड कॉरिडोर वाले क्षेत्रों में जहां पिछले 100 वर्षों में 5.5 से अधिक तीव्रता के भूकंप आए हैं, वहां जापानी विशेषज्ञों द्वारा सर्वेक्षण किया गया था।
ऐसा बताया जा रहा है कि बुलेट ट्रेन की सेवा साल 2026 के अगस्त तक शुरू की जाएगी।