मप्र के इंदौर स्थित राजा रामन्ना प्रगत प्रौद्योगिकी केंद्र के विज्ञानी अनिल कुमार डिजिटल अरेस्ट का शिकार हो गए। साइबर अपराधियों ने अनिल को मनी लांड्रिंग, मानव तस्करी जैसे गंभीर आरोपों में गिरफ्तार करने की धमकी दी। अपराधियों ने अनिल और उनकी पत्नी को सात दिनों तक न सर्विलांस पर रखा, नकली सीबीआई और ईडी अफसर बनकर वीडियो कॉल पर गहन पूछताछ भी करते रहे।
अतिरिक्त सहायक पुलिस आयुक्त (अपराध) राजेश दंडोतिया के मुताबिक अनिल कुमार को एक सितंबर को अज्ञात नंबर से फोन आया था। फोन करने वाले ने खुद को भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण का अधिकारी बताते हुए अपना नाम बताया। कहा कि आपके आधार कार्ड से जारी सिमकार्ड का इस्तेमाल गैरकानूनी विज्ञापन, महिला उत्पीड़न संबंधित मैसेज में हो रहा है। उसने शिकायत बताई, कहा कि इस केस में 300 लोग शामिल हैं।
विज्ञानी अनिल को सीबीआइ का फर्जी नोटिस भेजा
आरोपितों ने गोपनीयता रखने की शर्त पर अनिल और उनकी पत्नी से वीडियो कान्फ्रेंस के माध्यम से पूछताछ करना शुरू कर दिया। विज्ञानी और उनकी पत्नी सात दिनों तक नकली सीबीआइ, क्राइम ब्रांच और ईडी अफसरों के सवालों का जबाव देते रहे। फर्जी क्राइम ब्रांच अधिकारी राकेश ने विज्ञानी अनिल को सीबीआइ का फर्जी नोटिस भेजा और गिरफ्तारी वारंट जारी होने की बात कही।
वीडियो कान्फ्रेंस के माध्यम से पूछताछ की
फर्जी सीबीआइ अधिकारी ने पति-पत्नी से वीडियो कान्फ्रेंस के माध्यम से पूछताछ की। ठग ने खातों में जमा राशि, एफडी, म्यूच्युअल फंड और प्रापर्टी की जानकारी ले ली। आरोपितों ने सीबीआई और ईडी से प्रमाण पत्र देने का झांसा देकर अलग-अलग खातों में 71 लाख 33 हजार 75 रुपये जमा करवा लिए। नजदीकी पुलिस स्टेशन जाकर टीआइ से बात करवाने के लिए कहा और मोबाइल बंद कर लिए।