हिन्दू धर्म में धार्मिक अनुष्ठान पौराणिक काल से ही चले आ रहे हैं. वेद और पूजा पद्धतियों में यज्ञ व हवन का बड़ा महत्व बताया गया है. दोनों ही सनातन हिंदू संस्कृति का अहम हिस्सा रहे हैं. आपने भी अपने घर या अनुष्ठान वाले स्थान पर लोगों को यज्ञ या हवान करते देखा होगा. धार्मिक ग्रंथों में इनके बड़े लाभ भी बताए गए हैं लेकिन क्या आप जानते हैं हवन और यज्ञ दोनों ही धार्मिक क्रिया होने के बावजूद काफी अलग हैं. आइए जानते हैं इनके अंतर और होने वाले फायदे के बारे में भोपाल निवासी ज्योतिष आचार्य पंडित योगेश चौरे से.
क्या है यज्ञ?
धर्म ग्रंथों के अनुसार यज्ञ की रचना सबसे पहले परमपिता ब्रह्माजी ने की थी. यह एक वैदिक प्रक्रिया है और इसके नियम काफी कठिन माने जाते हैं. यदि किसी खास उद्देश्य से देवताओं को आहुति दी जाती है तो यह यज्ञ कहलाता है. यज्ञ किसी तरह के अनिष्ट को दूर करने या फिर किसी तरह की मनोकामना को पूर्ण करने के लिए किया जाता है. इसमें वेद मंत्रों का उच्चारण किया जाता है.
क्या है हवन ?
इसे यज्ञ का ही छोटा रूप कहा जाता है. जिसमें पूजा के बाद अग्नि देव को आहुति दी जाती है. सरल शब्दों में कहा जाए तो कुंड में अग्नि के माध्यम से देवता के निटक हवि (हवन सामग्री) पहुंचाने की प्रकिया ही हवन कहलाती है. हवन धार्मिक कार्यों के दौरान, गृह प्रवेश, नवग्रह शांति अथवा वास्तु दोष दूर करने के लिए किया जाता है.
हवन और यज्ञ के लाभ
बात चाहे यज्ञ की हो या हवन की दोनों के लिए कई फायदे होते हैं. दोनों में ही 55 तरह की अलग-अलग औषधि व लकड़ियों का उपयोग किया जाता है. दोनों से ही घर में नकारात्मकता खत्म होती है और सकारात्मकता आती है. हवन में उपयोग की जाने वाली औषधियों के धुएं से घर में मौजूद वैक्टीरिया खत्म होते हैं, इसलिए ये स्वास्थ्य की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण माना जाता है.