चंडीगढ़ । हरियाणा में चुनावी मौसम में अचानक हुए राजनीतिक उलटफेर ने सभी को चौंका दिया है। सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के उम्मीदवारों के लिए वोट की अपील करने वाले पूर्व सांसद अशोक तंवर ने कुछ ही घंटे पहले कांग्रेस का हाथ थाम लिया। तंवर ने राहुल गांधी की जींद रैली में शामिल होकर कांग्रेस में अपनी वापसी की।
तंवर, जो हरियाणा कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष रहे हैं, चुनाव प्रचार थमने से ठीक पहले बीजेपी के स्टार प्रचारकों की लिस्ट में शामिल थे। उन्हें कैंपेन कमेटी का सदस्य भी बनाया गया था। इतना ही नहीं राहुल गांधी के मंच पर पहुंचने के पहले, तंवर बीजेपी उम्मीदवारों के पक्ष में प्रचार कर रहे थे और सोशल मीडिया पर बीजेपी के लिए अपनी समर्थन की तस्वीरें भी साझा कर रहे थे।
तंवर ने बीजेपी उम्मीदवार रणधीर पनिहार के समर्थन में रैली की तस्वीरें पोस्ट की थीं, जिसमें उन्होंने तीसरी बार बीजेपी की सरकार बनने का विश्वास जाहिर किया था। इसके अलावा, उन्होंने जींद की सफीदो विधानसभा सीट के बीजेपी उम्मीदवार रामकुमार गौतम के समर्थन में भी प्रचार किया। इस राजनीतिक घटनाक्रम ने यह सवाल उठाया है कि क्या यह सिर्फ एक चुनावी रणनीति है या फिर कुछ और। तंवर ने कांग्रेस में शामिल होने के बाद अपने सभी बीजेपी संबंधी पोस्ट डिलीट कर दिए, जिससे उनके अचानक बदलाव की स्पष्टता और भी बढ़ गई है।
तंवर ने पहले कांग्रेस में अपना करियर शुरू किया था, लेकिन 2019 में पार्टी छोड़ने के बाद आम आदमी पार्टी में शामिल हो गए थे। 2022 में, आप ने उन्हें चुनाव प्रचार समिति का चेयरमैन बनाया। लेकिन लोकसभा चुनाव के समय तंवर ने बीजेपी का दामन थाम कर सिरसा सीट से कुमारी सैलजा के खिलाफ चुनाव लड़ा।
तंवर का अचानक कांग्रेस में वापस आना हरियाणा की राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ को दर्शाता है। इससे साफ है कि चुनावों में सभी संभावनाएं खुली रहती हैं और नेताओं के निर्णय भी परिस्थितियों के अनुसार बदलते रहते हैं।
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