बुलंदशहर के नरौरा में स्थित मां सर्वमंगला देवी यानी बेलौन वाली मईया के मंदिर के बारे में मान्यता और इतिहास काफी गहरा रहा है. जनश्रुति और पौराणिक मान्यता के मुताबिक मां पार्वती को एक बार भगवान शिव ने बताया कि उन्हें समस्त धर्मग्रंथों के महत्व का ज्ञान पाने के लिए बेलौन जाना चाहिए, बेलौन नरौरा के गंगा नदी के पश्चिम छोर पर स्थित बेल के वन क्षेत्र का नाम है. वहां मां पार्वती ने एक शिला पर बैठकर ध्यान किया था. आगे चलकर यह स्थान सर्वमंगला देवी के नाम से जाना जाने लगा. मान्यता है कि यहां कई बार माता रानी ने साक्षात लोगों को किसी न किसी रूप में आकर दर्शन दिए हैं.
कहा जाता है कि एक बार राव भूप सिंह को स्वप्न में मां सर्वमंगला देवी ने दर्शन दिए थे और उन्हें उस जगह की खुदाई करवाकर मंदिर बनवाने को कहा था. मंदिर के प्रांगण में हर साल चैत्र शुक्ल की त्रयोदशी और आश्विन महीने के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी को बलिदान दिवस मनाया जाता है. मंदिर के आस-पास एक बाज़ार भी है. मंदिर में पूरे साल श्रद्धालुओं की भीड़ रहती है, लेकिन नवरात्रों में यहां भव्य मेला लगता है.
बेलौन मंदिर के पुजारी नरेश कुमार वशिष्ठ ने बताया मां सर्वमंगला मां बेलौन मईया का निर्माण गांव के ही राव भूप सिंह ने कराया था. मंदिर में नवरात्रि के नौ दिन काफी भीड़ भाड़ रहती है. मन्दिर में दूर दराज से श्रद्धालु पूजा पाठ करने आते हैं और मनोकामना मांगते हैं, जब श्रद्धालुओं की मनोकामना पूर्ण हो जाती है तो मां के दरबार में चांदी या सोने के मुकुट भी चढ़ाते हैं. बताया जाता है कि बेलौन मैया के मंदिर की मान्यता काफी है. कई बार माता रानी ने साक्षात लोगों को किसी न किसी रूप में आकर दर्शन दिए हैं और यही वजह है कि यहां के लोगों का विश्वास मां की प्रति अटूट है. इसीलिये जब भी कोई श्रद्धालु गंगा जी में नहाने आता है, वह मां बेलौन देवी के दर्शन जरूर करके आता है.