तेहरान। इजराइल की खुफिया एजेंसी मोसाद ने हैरान करने वाला कारनामा कर दिखाया है। पूर्व ईरानी राष्ट्रपति महमूद अहमदीनेजाद ने खुलासा किया है कि मोसाद ने ईरान की खुफिया एजेंसी के शीर्ष स्तरों पर घुसपैठ की है। एक रिपोर्ट के मुताबिक उन्होंने कहा कि ईरान में जासूसों का एक ग्रुप जो इजराइल के लिए काम कर रहा था को मोसाद ने अपने साथ मिला लिया था। ये ईरानी जासूस अब मोसाद के लिए डबल एजेंट के रूप में काम कर रहे थे।
मीडिया रिपोर्ट में अहमदीनेजाद ने एक दावा किया कि मोसाद ने एक ईरानी खुफिया एजेंसी के प्रमुख के रूप में अपने एक एजेंट को बैठा दिया था, जो सारी जानकारी इजराइल को पहुंचा रहा था। उन्होंने कहा कि मोसाद का यह ऑपरेशन ईरान के परमाणु कार्यक्रम के बारे में जानकारी चुराने का उद्देश्य था। उन्होंने खुलासा किया कि ईरानी खुफिया मंत्रालय में काउंटर-इजराइल यूनिट का प्रमुख भी एक इजराइली एजेंट था। उन्होंने कहा कि मोसाद ने एक जटिल ऑपरेशन के तहत ईरानी खुफिया सेवाओं में घुसपैठ की, जिसमें महत्वपूर्ण परमाणु दस्तावेजों को चुराना भी शामिल था।
रिपोर्ट के मुताबिक अहमदीनेजाद ने बताया कि ईरान की खुफिया एजेंसी में करीब दो दर्जन ईरानी मोसाद के लिए जासूसी का काम कर रहे थे। यह पहली बार नहीं है जब इजराइल की मोसाद ने ईरान के अंदर अपने जासूस बनाए हैं। 2018 में इजराइली पीएम बेंजामिन नेतन्याहू ने घोषणा की थी कि इजराइल ने ईरान के परमाणु हथियार कार्यक्रम से संबंधित फाइलों का खजाना प्राप्त किया है। यह अभियान आधी रात को तेहरान में चलाया गया था, जहां मोसाद के एजेंटों ने ईरान के परमाणु हथियारों के विकास का विवरण देने वाले 100,000 से अधिक दस्तावेज चुरा लिए थे।
छह घंटे के ऑपरेशन में दो दर्जन से ज्यादा एजेंटों ने दस्तावेजों तक पहुंचने के लिए गोदाम में तिजोरियों को काटा था। बाद में नेतन्याहू ने इन दस्तावेजों को तेल अवीव में प्रस्तुत किया, जिसने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को ईरान के साथ 2015 के परमाणु समझौते से बाहर निकलने के लिए प्रेरित किया। इस प्रकार, मोसाद के सफल ऑपरेशनों ने ईरान के लिए सुरक्षा चुनौतियां पैदा की हैं और अंतरराष्ट्रीय संबंधों में तनाव को बढ़ा दिया है।
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