56 साल पहले हादसे का शिकार हुए इंडियन एयरफोर्स के एन-12 ट्रांसपोर्ट प्लेन को लेकर अब बड़ी खबर आई है।
हिमाचल प्रदेश के रोहतांग के पास क्रैश हुए विमान में मारे गए चार लोगों के शव अब पाए गए हैं। लगभग 16 हजार फीट की ऊंचाई पर ग्लेशियर के नीचे ये शव दबे हुए थे।
तीन शवों की पहचान की जा चुकी है। इनमें से एक पायनियर कॉर्प्स के सिपाही मलखान सिंह थे। दूसरे का नाम नारायण सिंह था जो कि आर्मी मेडिकल कॉर्प्स से थे।
इसके अलावा इलेक्ट्रॉनिक्स ऐंड मकैनिकल इंजीनयर थॉमस चरन की हादसे में मौत हो गई थी। इन तीनों के ही शव बरामद किए गए हैं।
जानकारी के मुताबिक इस इलाके में 10 अक्टूबर तक तलाशी अभियान चलाया जाएगा। हो सकता है कि ग्लेशियर में दबी और भी लाशें मिल जाएं।
मलखान सिंह की जेब में मिले वाउचर से उनकी पहचान हो पाई। इसके अलावा नारायण सिंह और चरन की पहचान पेबुक्स से हो पाई जो उनके पास मौजूद थी। इन जवानों के परिवारों को सूचना दे दी गई है।
7 फरवरी 1968 को सोवियत के मिलिट्र्री ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ् क्रैश हो गया था। इसके मलबे को 2003 में सबसे पहले देखा गया। इसके बाद 2019 में पांच शव पाए गए थे।
अब तक कुल 9 शव पाए गए हैं। जबकि हादसे के वक्त विमान में 102 जवान मौजूद थे। इस विमान ने चंडीगढ़ से उड़ान भरी थी और लेह में उतरने वाला था।
21 साल पहले इसका मलबा पाए जाने के बाद कई बार सर्च ऑपरेशन चला गया। 2005, 2006, 2013 और 2019 में डोगार स्काउट्स ने यहां तलाशी अभियान चलाया। इस बार डोगरा स्काउट ने कमाल कर दिया।
2003 में जब एएन-12 का मलबा पाया गया था। वहीं पांच साल पहले विमान के दो एयरो इंजन, फ्यूजलेग, फ्यलू टैंक, कॉकपिट डोर पाए गए।
18 सितंबर को भारतीय सेना ने टीएमआर के साथ एक समझौते पर साइन किए हैं जिसके तहत पहाड़ों में राहत और बचाव के काम को तेज करने का प्रयास किया जाएगा।
इस समझौते के तहत सेना को हिमस्खलन के दौरान निपटने और राहत बचाव अभियान चलाने की ट्रेनिंग दी जाएगी।
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