पूर्व भारतीय फुटबॉल खिलाड़ी और कोच टी के चथुन्नी का बुधवार सुबह केरल के निजी अस्पताल में निधन हो गया। 79 वर्षीय आयु में दिग्गज ने अंतिम सांस ली। वह कैंसर की बीमारी से जूझ रहे थे। डिफेंडर के तौर पर प्रतिष्ठित संतोष ट्रॉफी में केरल और गोवा के लिए खेलने वाले चथुन्नी भारतीय फुटबॉल के बेहतरीन कोचों में से एक थे।अपने खेल करियर के बाद चथुन्नी ने कोचिंग की ओर रुख किया। 40 से अधिक वर्षों तक खेल पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाला। उन्होंने मोहन बागान, डेम्पो गोवा और एफसी कोचीन सहित कई प्रसिद्ध टीमों को कोचिंग दी।
1979 में वे केरल की संतोष ट्रॉफी टीम के कोच बने। चथुन्नी ने "फुटबॉल माई सोल" नामक एक आत्मकथा भी लिखी, जिसमें उन्होंने फुटबॉल से उनके जीवन और करियर पर होने वाले प्रभाव के विषय में लिखा। मुख्यमंत्री पिनरई विजयन और राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता वी डी सतीसन ने उनके निधन पर शोक व्यक्त किया। अपने संदेश में मुख्यमंत्री ने याद किया कि चथुन्नी चार दशकों तक खिलाड़ी और कोच के रूप में सक्रिय रहे।
वहीं, चथुन्नी के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए केरल विधानसभा में विपक्ष के नेता वी डी सतीसन ने कहा, "जब भारतीय फुटबॉल का इतिहास बताया जाएगा, तो चथुन्नी सबसे आगे रहेंगे।" चथुन्नी चार दशकों से अधिक समय तक खिलाड़ी और कोच के रूप में मैदान पर रहे। उन्होंने कहा कि कोच के रूप में उनकी उपलब्धियां बेजोड़ थीं। सतीसन ने आगे कहा, "कोच चथुन्नी ने आई एम विजयन और सी वी पप्पाचन की पीढ़ी को उत्कृष्टता की ऊंचाइयों पर पहुंचाने में प्रमुख भूमिका निभाई। चथुन्नी का निधन खेल जगत के लिए एक बड़ी क्षति है।"